Uncategorized

चाय पीना भारत में सांस्कृतिक आदत है! चेन यी ची छात्रा–नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़, सिंगापुर

 

पिछले दिसम्बर में, मैं वाराणसी गयी थी। विमान से उतरने के बाद, मेरे मन को शान्ति की अनुभूति होने लगी। मुझे पता था, मैं एक ख़ास जगह आ रही हूँ।

मैं शाम को बनारस पहुँची थी तो उस समय सड़क पर इतनी गाड़िया थीं कि सड़क भी है, नहीं मालूम हो रहा था। अरे, वहाँ का ट्रैफ़िक जाम सिंगापुर के ट्रैफ़िक जाम के समान नहीं है, मगर किसी न किसी तरह वहाँ की गाड़िया सब आगे बढ़ ही रही थीं! मुझे याद है, सड़क के किनारे से भूजा लिया था। भूजा गर्म था और मुझे अच्छा लगा।
इस यात्रा में मैंने जाना कि, वाराणसी वालों को सुबह पूरी और जलेबी खाना सबसे पसंद है । मैंने वहाँ दो बार पूरी खायी – एक बार अस्सी घाट के पास, और दूसरा वाला दशाश्वमेध घाट के पास। दोनों पूरी वाले अलग थे| शायद विधि समान नहीं है, इसलिए दोनों का स्वाद भी समान नहीं लगा। मुझे दशाश्वमेध घाट के पास की पूरी की दुकान पसंद आई। उस दुकान में स्वादिष्ट समोसे भी थे| अभी मैं सिंगापुर में हूँ, यहाँ वाराणसी जैसी पूरी, जलेबी, समोसा या लस्सी खोज नहीं सकती।

भारत में चाय पीना एक सांस्कृतिक आदत है और बहुत लोकप्रिय है। मैंने  वहाँ एक दिन में पाँच कप चाय पी! इस यात्रा से पहले, मैंने एक दिन में कई बार चाय नहीं पी थी, मगर इस अनुभव पर खेद नहीं है। अरे, चाय बहुत दिलचस्प है, है ना? एक देश में अलग-अलग चाय बनाने का ढंग है। मुझे लगता है कि, भारत की चाय सबसे अच्छी है! इस यात्रा में, मैंने चाय कैसे बनाना चाहिए यह भी सीखा है। मैंने यहाँ आकर चाय बनाई पर एक चीज़ का एहसास हुआ – भारत का दूध सिंगापुर के दूध और खाने की तरह अलग है।

मैं वाराणसी में घाट देखने गई थी। मुझे एक नाव वाला मिल गया| उसने मुझे गंगा जी के पहले घाट से अंतिम घाट तक दिखाया। मैं सुबह-सुबह घाट देखने गई थी उस समय गंगा जी बहुत शांत लगीं और सभी घाट बहुत सुंदर हैं। गंगा जी दूसरी नदियों के समान नहीं, वहाँ बहुत शान्ति और पवित्र अनुभूति मिलती है।

मुझे पता हैं कि वाराणसी का खाना सबसे अच्छा है, मगर जो चीज़ हमेशा के लिए मन में बस गई है वह वहाँ के घाट हैं|

हर घाट के पास अद्वितीय इतिहास और कहानी है। क्या आप को दशाश्वमेध घाट याद है ? वहाँ पर गंगा आरती हर शाम होती है। गंगा आरती देखने के लिए भारत के दूसरे राज्यों से बहुत लोग आते हैं लेकिन दूसरे देशों वाले और भी ज़्यादा। मैं तो कहती हूँ कि सब लोगों को गंगा आरती देखनी चाहिए। गंगा आरती सिर्फ़ आरती नहीं है बल्कि दिलचस्प संगीत और नज़ारा भी है; भजन बजता है, पुजारी जी लोग आरती करते हैं और दर्शक भजन के साथ गाते ताली बजाते कहीं खो जाते हैं। वाकई वो पल बहुत सुखद लगा|

बीती बातें सोचते हुए, मुझे वाराणसी याद आती है। वहाँ की गायें, बैल, घाट, लोग, खाना, मिठाई और भाषा। सब कुछ बहुत जादुई है|

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *